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  • Writer's pictureले०ज० गुरमीत सिंह (से०नि०)

आने वाले कल में समूचे हिमालयी क्षेत्र का नेतृत्व करेगा उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड राज्य अपने गठन के 22 साल पूरे कर 23वें साल में प्रवेश कर रहा है। देश में यह पहला प्रदेश है, जो अपने युवाओं एवं मातृशक्ति की अगुवाई, संघर्ष तथा हिम्मत से बना है। उत्तराखंड राज्य अपने उच्चस्तर के राजनेताओं और साहित्यकारों के कारण विश्व विश्रुत हुआ। आजादी के बाद यदि किसी प्रदेश के आर्थिक विकास के साथ नागरिक गौरव की प्रगति गाथा लिखी जाए, तो आज वह प्रदेश उत्तराखंड होगा।

देश की सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने के लिए प्रसिद्ध इस प्रदेश के लोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में नए आयाम बना रहे हैं। इसरो, भाभा अणु अनुसंधान केंद्र, ललित कला, नाट्य रंगमंच, प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र से लेकर पत्रकारिता जगत में बिना किसी उत्तराखंडी के शायद ही कोई संस्थान मिले। मेहनती, ईमानदार तथा कुशाग्र बुद्धि के उत्तराखंडियों ने सम्पूर्ण विश्व में चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आतिथ्य व खान-पान के क्षेत्र में अपनी साख बनाई है।


देश की सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने के लिए प्रसिद्ध इस प्रदेश के लोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में नए आयाम बना रहे हैं। इसरो, भाभा अणु अनुसंधान केंद्र, ललित कला, नाट्य रंगमंच, प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र से लेकर पत्रकारिता जगत में बिना किसी उत्तराखंडी के शायद ही कोई संस्थान मिले। मेहनती, ईमानदार तथा कुशाग्र बुद्धि के उत्तराखंडियों ने सम्पूर्ण विश्व में चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आतिथ्य व खान-पान के क्षेत्र में अपनी साख बनाई है।


दकेंद्र सरकार के ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट की वजह से चारधाम रूट की सड़कों का कायाकल्प हुआ है। इससे चारधाम यात्रा के साथ स्थानीय लोगों का सफर भी आसान हुआ है। इसके अलावा दिल्ली से दून के लिए बन रहे एक्सप्रेसवे, भारतमाला और पर्वतमाला परियोजना से सड़क तथा रोपवे संपर्क और बेहतर होने जा रहा है। वर्तमान में तीस हजार किमी सड़कें बन चुकी हैं। दूरदराज के गांवों तक भी सड़क पहुंच गई है।


पूर्व में करीब 17 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था आज तीन लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने वाली है। उत्तराखंड जब बना तो प्रति व्यक्ति आय 13,762 रुपये थी, जो अब 1.96 लाख रुपये के पार पहुंच गई है। केंद्रीय योजनाओं के जरिए भी राज्य को अवस्थापना विकास के लिए काफी बजट मिला है। उत्तराखंड का हर गांव और हर घर बिजली से रोशन है। इस क्रम में जहां सौभाग्य योजना में घरों को बिजली से जोड़ा गया वहीं दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत पावर सप्लाई सिस्टम मजबूत किया गया है। इसी प्रकार जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट के तहत तेजी से काम हो रहा है। राज्य के कुल 15 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाया जाना है।


यह उत्तराखंड के लिए स्वर्णिम समय कहा जा सकता है, जब पहाड़ के गौरव और आर्थिक विकास की वापसी का युग लाना संभव दिखने लगा है। उत्तराखंड आज समूचे हिमालयी क्षेत्र का नेतृत्व करने की स्थिति में आ गया है।

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