वीरवार, 5 जनवरी 2022 को नई दिल्ली स्थित श्री गुरु तेग बहादुर ख़ालसा कॉलेज में आयोजित “फर्स्ट सिख हिस्ट्री कांग्रेस-2023” के तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर सम्बोधन
सिख परंपरा में भलाई के मार्ग पर चलने के सिद्धांत, करुणा, न्याय और समानता की भावना को प्रदर्शित करने वाली शिक्षाएं पूरे मानव जाति का मार्गदर्शन करने वाली हैं। सिख धर्म मानव स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, सामाजिक न्याय, नैतिक जीवन के साथ–साथ प्यार, निस्वार्थ सेवा, मानवीय गरिमा, स्वाभिमान, सिमरन और सरबत दा भला में विश्वास करता है। प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरोने का जो संदेश दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। गुरु नानक जी ने अपने संदेश में ‘सब कुछ तेरा’ और ‘एकम’ में विश्व कल्याण की बात कही है। गुरु नानक देव जी के ‘नाम जपो, कीरत करो, वंड छको’ के संदेश में उनकी सभी शिक्षाओं का सार है। उनकी पवित्र शिक्षाएं हम सब के लिए प्रेरणा देने वाली हैं।
सिख चिंतन में प्रत्येक मनुष्य अपने आप में साध्य है। समाज कार्य की भाति सिख धर्म में भी मनुष्य को प्रत्येक सामाजिक और राजनीतिक संस्था के महत्व अथवा वांछनीयता का अंतिम निर्णायक बनाया गया है। सिख धर्म के अनुसार, अन्य मनुष्यों के प्रति स्नेहपूर्ण मधुर तथा सम्मानजनक रूख और सभी के कल्याण के प्रति वचनबद्धता एक धार्मिक व्यक्ति के सामाजिक आचरण की खास निशानी (पहचान) है।
हमारे सभी दस गुरुओं ने राष्ट्र को सबसे ऊपर रखकर भारत को एक सूत्र में पिरोया था। गुरु नानकदेव जी ने पूरे राष्ट्र की चेतना को जगाया था, पूरे राष्ट्र को अंधकार से निकालकर प्रकाश की राह दिखाई थी। सिख गुरुओं का त्याग और बलिदान हमें अपने धर्म, अपनी संस्कृति, परंपरा तथा राष्ट्र की अखंडता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए प्रेरित करता है। हमें सिखों के इस समृद्ध इतिहास और उनके योगदान को लिखित रूप में लाने की जरूरत है, ताकि उनके इतिहास और सिख गुरुओं, उनके परिवार और असंख्य सिख शहीदों के बलिदान को लोग जान सकें। ये ऐसी कहानियां हैं जो हमें प्रत्येक भारतीय को बतानी चाहिए, क्योंकि इन कहानियों में "राष्ट्र प्रथम" की भावना का समावेश है। उन्होंने कहा कि सिख परंपरा "सेवा परमो धर्म:" को निभाते हुए कोविड महामारी में भी अनेक सिख संस्थानों और सिखों द्वारा मानवता को बचाने का कार्य किया गया।
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