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महीने में एक दिन

युवाओं में निस्वार्थता, सेवा करने का संकल्प और नेतृत्व करने जैसे गुणों का विकास करना

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स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक युवा का जीवन सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होना चाहिए ताकि उसके दिमाग, दिल और आत्मा का पोषण हो। सार्थक जीवन के बारे में विवेकानंद के विचारों को इन चार बिन्दुओं-भौतिक, सामाजिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक संसाधनों से समझा जा सकता है। स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि अधिक से अधिक संख्या में युवा सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों जिससे न केवल समाज में सुधार हो बल्कि व्यक्तिगत विकास भी हो। उन्होंने आध्यात्मिकता को समाज सेवा से भी जोड़ा और मनुष्य में ईश्वर की सेवा करने की बात कही।

यह अभियान क्यों?

युवाओं में नि:स्वार्थता, सेवा का संकल्प, सच्चाई और नेतृत्व जैसे गुण विकसित करने के लिए प्रत्येक संस्थान/महाविद्यालय माह में एक दिन सेवा कार्य को प्राथमिकता दें। प्रत्येक संस्थान/महाविद्यालय को अपने आस-पास की परिस्थितियों के अनुसार किसी एक सेवा कार्य (जैसे स्वच्छता कार्यक्रम, वृक्षारोपण कार्यक्रम, रक्तदान शिविर, नशा निवारण जागरूकता, बुजुर्गों की देखभाल आदि) की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

इस अभियान का उद्देश्य छात्रों के समग्र सामाजिक, मानसिक, शारीरिक और शैक्षणिक विकास के साथ-साथ प्रत्येक संस्थान/महाविद्यालय की एक अलग आदर्श पहचान स्थापित करना है। कृपया हर माह किये जाने वाले सेवा कार्यों की जानकारी हमें भेंजे ताकि आपका कार्य दूसरों के लिए प्रेरणा बन सके।

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